Tuesday, April 9, 2013

स्वाद

रस रस चख कर देखा मैने, हर स्वाद अलग पाया,
जब विष चखने चला मैं, हर स्वाद एक सा पाया|

तरस

वो कल कल कर के जाते रहे, मेरी उमिदों को तरसाते रहे,

मैं बेसब्री पकड़े बैठा था, वो कल की आस थमाते रहे,

मैं छुप छुप के उन्हे उकसाता रहा, वो मुस्कुरा के अंजान बन जाते रहे,

मैं सदियों की तैयारी कर बैठा था, वो कल के आगे ना बढ़ पाते हैं,

मैं कहना बहुत तो कहता हूँ, पर हर बात कल पे अटक जाती है,

जब आते हैं वो ख्वाबों मैं, उस कल की तरस बढ़ आती है,

मैं हर शाम थाम उन्हे रोकना चाहता हूँ, वो कल कल कह चले जाते हैं|

ख़यालों का कवि

अल्फ़ाज़ बदल जाएगे, एहसास बदल जाएगे,
जो लिख के गया था मैं, वो मतलब भी बदल जाएगे,

अंधे होते अब भी है, अंधे तब भी कहलाएँगे,
जो जी के ना करना चाहा मैं, वो मार मुझे करवायगे,

मैं विचारों को बिखेरता हूँ, शब्द तो बस एक ज़रिया हैं,
जो इन ख़यालों को ना समझे, वो अंधे रह यूँ मारजएँगे|


तेरी जुल्फ़े

अपनी क्वाहिशों को देखता हूँ तो,
तेरी जुल्फों सा घाना पता हूँ,

खुला छोड़ा तो जिंदगी उलझ जाती है,
अगर बाँध दिया तो क्वाहिशे घुट जाती है|



मेरी अपनी कहानी

बिखेर दी कुछ लब्जों मे मैने अपनी जिंदगानी ,
लो फिर शुरू हो गयी ये मेरी अपनी कहानी |

मलाल

मलाल इस बात का नही की एक दिन मर जायुगा मैं,
पर डर इस बात का है क्या तब तक जी पाऊगा मैं |

ढलता, बदलता

वो हवाए चलती रही और ये पत्थर ढलता रहा,
जिंदगी यू ही चलती रही और मैं बदलता रहा


जो खोया


रंगों ने कागज को छुआ तो उनको एक वजूद मिल गया,
एक दिन छुआ था तुमने, तब जो खोया था मैने, आज तक ना मिला


From now I will post some of my Hindi poems too... Hope you all like it and love it..

I will start with this one....

काश खयालों के आगे हकीक़त मे मेरा जहाँ होता,
काश मेरे खुदा मुघे मेरा पता होता,

अपनी बदीशों से फिर यू ना खफा होता,
वो बीते पलों के जनाज़ों मे ये आँसू ना बहा होता


Yours comments are welcome ....