सब कुछ भी जान के
इतना उदास है
इस मन में नजाने
कितनी प्यास है
आधा गिलास पि कर कहे
आधा ही बाकी है
और बाकि आधा भरने की
हिम्मत भी लानी है
सांसे लूँ के, गला सूखे
ये भी परेशानी है
बेवजह वजह ढूंढने की
इसकी बीमारी है
फ़िक्रों की मजलिस में
दिन भर जब रोया
शाम को बारिश की बूँद पे
गिलास ले दौड़ा है
हाथों से फिसल के
ये मौका जो टुटा है
वो चुपचाप जा कर फिर
सुकून में सोया है
इतना उदास है
इस मन में नजाने
कितनी प्यास है
आधा गिलास पि कर कहे
आधा ही बाकी है
और बाकि आधा भरने की
हिम्मत भी लानी है
सांसे लूँ के, गला सूखे
ये भी परेशानी है
बेवजह वजह ढूंढने की
इसकी बीमारी है
फ़िक्रों की मजलिस में
दिन भर जब रोया
शाम को बारिश की बूँद पे
गिलास ले दौड़ा है
हाथों से फिसल के
ये मौका जो टुटा है
वो चुपचाप जा कर फिर
सुकून में सोया है
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