ये कौन है जो झल्ला कर
मेरे जांघों की जेबों में
हाथ फैला
झकझोर देता है
घबराई टांगों को
थाम के चाबूक
मेरे हाथों की नब्ज के
काबू करता है मुठि में
थरथराती उँगलियों को
हाँ ! वही जो
जम्भाइयों में मेरी
खींचता है लम्बी साँसे
जैसे कब से डुबकी लगाए
बैठा हो मुझमे
वही, एक अचानक सा
झटका सा, खट्टा सा
एहसास, माथे के पीछे
गर्दन के नीचे
एक अचानक के होने का
वही! जो पपोटों को बारीकी से सटा
रफू कर देता है
इतनी सफाई से
हक़ीक़त हो सपनो में
के में खुद पर सक करता हूँ
वही! जो भर देता है घुंघरू
तलवों में
झुनझुनी सी
जो बजती है, जब अचना उठ चलता हूँ
सुनाई नहीं देती
हाँ रे वही!
जौ फेफडों मे अटकि सांसों को उबलता है
मैं जब हांफता हूँ
के पतीले छोटे पड़ गए हैं
रफ़्तार थाम लूँ
ये कौन है आखिर
क्या मेरे दो अनन्त के बीच का अथा ?
वजूद
मेरे जिन्दा होने का ?
या
बस एक जिन्दा सा होने का
मजाक ?
मेरे जांघों की जेबों में
हाथ फैला
झकझोर देता है
घबराई टांगों को
थाम के चाबूक
मेरे हाथों की नब्ज के
काबू करता है मुठि में
थरथराती उँगलियों को
हाँ ! वही जो
जम्भाइयों में मेरी
खींचता है लम्बी साँसे
जैसे कब से डुबकी लगाए
बैठा हो मुझमे
वही, एक अचानक सा
झटका सा, खट्टा सा
एहसास, माथे के पीछे
गर्दन के नीचे
एक अचानक के होने का
वही! जो पपोटों को बारीकी से सटा
रफू कर देता है
इतनी सफाई से
हक़ीक़त हो सपनो में
के में खुद पर सक करता हूँ
वही! जो भर देता है घुंघरू
तलवों में
झुनझुनी सी
जो बजती है, जब अचना उठ चलता हूँ
सुनाई नहीं देती
हाँ रे वही!
जौ फेफडों मे अटकि सांसों को उबलता है
मैं जब हांफता हूँ
के पतीले छोटे पड़ गए हैं
रफ़्तार थाम लूँ
ये कौन है आखिर
क्या मेरे दो अनन्त के बीच का अथा ?
वजूद
मेरे जिन्दा होने का ?
या
बस एक जिन्दा सा होने का
मजाक ?
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