Monday, October 24, 2016

एक सुबह की हताशा

"इस शहर को इन आवारा जानवरों से मुक्त करना चाहिए
बगैर इन्हें हटाये विकास नहीं हो सकता "

एक आवारा कुत्ते की मौत पे कुछ यूँ मातम बनाया गया

उसके गर्दन पे फटे चमड़े से बहते लहू ने
ना जाने कितनों की सुबह बर्बाद की
मगर सबकी नहीं
सामने वाली कोठी में रहते
बूढ़े चाचा स्मृतियों में खो गए
कुत्ते की मौत पे
और याद कर बैठे अपने बचपन के पालतू कुत्ते को
जिसे साप ने डस लिया था
कुल तीन महीने हो चुके है
वो बिस्तर से उठे नहीं हैं
इन्तेजार मे हैं डसे जाने के

अगर ये जानवर जंगल मे मरा होता
तो क्या सब मातम बनाते
या वहाँ भी कोई खुश होता
मुफ्त का गोश्त खाने को

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