Thursday, September 25, 2014

ओबैद

कुछ लोग ख्यालों के जहां में रहते है
कुछ ख्यालों को जहां में बदलते हैं

जो जहां सोचा था तुमने दीवारों के पार बरसों पहले
आज उसी दिवार पर बैठा मै वो जहां देख रहा हूँ

तुमने सच कहा था ओबैद
                     ये जहां खूबसूरत है
                                  बहुत खूबसूरत है


तेरे सपनो के मंच पे, आज खड़े कितने सपने हैं
जो तेरा एक सपना पूरा है, हुए कितने अधूरे पूरे हैं

के तुझसे ये हुजूम बना, इस हुजूम मे मैं शरीक हुआ
ये मेरा नसीब है, जो तेरे खयालों के करीब हूँ 

तुमने सच कहा था ओबैद
                       ये हुजूम हसीन है
                                    बहुत हसीन है

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