एक मुट्ठी आसमान
कोई डाल देता मुझपे
तो शायद एक और सर्दी काट लेता मै
आज अख़बार बोल रहा था
कुछ लोग मर गए कल रात
ठंड से ठिठुर के
ये आसमान कितना छोटा
पड़ गया है ना
ज़माने के लिए
कोई डाल देता मुझपे
तो शायद एक और सर्दी काट लेता मै
आज अख़बार बोल रहा था
कुछ लोग मर गए कल रात
ठंड से ठिठुर के
ये आसमान कितना छोटा
पड़ गया है ना
ज़माने के लिए
No comments:
Post a Comment