तहकीकात लगा बैठा मन ये
टूटे टूटे सपनो के शहर मे
ढूँढे तेरे वो निशान
बेखुदी बहिशाब इधर है
चाहूं जितना भी वो कम है
ये जहाँ जी कर भी ना मिला
टूटे टूटे सपनो के शहर मे
ढूँढे तेरे वो निशान
बेखुदी बहिशाब इधर है
चाहूं जितना भी वो कम है
ये जहाँ जी कर भी ना मिला
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