तेरे माथे की लकीरें
मुझे किताबें लगती हैं
आवाज की खराशें
मजारें लगती हैं
जिन्हे पढ़ के, सुन के
दुआएं लगती हैं
तेरे कमरे की दीवारों पे
तस्वीरें चलती हैं
मुझे पता है तेरी मेज पे
कहानियाँ पड़ी है
जिन्हे चख के, तुमने
ये जवेदानियाँ रचीं हैं
के तुम ही हो
जिसकी कला
मेरी आराम कुर्सी
जिसपे टेक
सर लगा
जिंदगी
चाँद देखती है
के तुम ही हो
वो इत्र
जो लग जाये
तो महकें
हर बार, बार बार
जेहेन में
खयालों में
के तुम ही हो
वो टेढ़े मेढ़े से
चित्र
गुदे हुए
आखरी पन्नों पे
जो हंसाते हैं
जब तुत्तलातें हैं
के तुम ही हो
भावनाओं के सौदागर
मेहफ़ूज़ रखना खुद को
के भावनाए
बाजार में
बिकती नहीं
मिलती नहीं
मुझे किताबें लगती हैं
आवाज की खराशें
मजारें लगती हैं
जिन्हे पढ़ के, सुन के
दुआएं लगती हैं
तेरे कमरे की दीवारों पे
तस्वीरें चलती हैं
मुझे पता है तेरी मेज पे
कहानियाँ पड़ी है
जिन्हे चख के, तुमने
ये जवेदानियाँ रचीं हैं
के तुम ही हो
जिसकी कला
मेरी आराम कुर्सी
जिसपे टेक
सर लगा
जिंदगी
चाँद देखती है
के तुम ही हो
वो इत्र
जो लग जाये
तो महकें
हर बार, बार बार
जेहेन में
खयालों में
के तुम ही हो
वो टेढ़े मेढ़े से
चित्र
गुदे हुए
आखरी पन्नों पे
जो हंसाते हैं
जब तुत्तलातें हैं
के तुम ही हो
भावनाओं के सौदागर
मेहफ़ूज़ रखना खुद को
के भावनाए
बाजार में
बिकती नहीं
मिलती नहीं
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