Tuesday, March 1, 2016

वहां कुछ बूंदो ने

वो आँखों का कोना हैना
जहां तुम्हारा काजल थोड़ा फैला रहता है
साझ की तरह

वहां कुछ बूंदो ने
घर बना लिया है
शायद मौसम बदल गया है
सावन आ गया है

मैंने तब से पलके नहीं झपकाई
बेचारों की बस्ती टूट जाएगी 
और उन्हें शेहेर बदलना पड़ेगा
तुम्हारी तरह

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