वो आँखों का कोना हैना
जहां तुम्हारा काजल थोड़ा फैला रहता है
साझ की तरह
वहां कुछ बूंदो ने
घर बना लिया है
शायद मौसम बदल गया है
सावन आ गया है
मैंने तब से पलके नहीं झपकाई
बेचारों की बस्ती टूट जाएगी
और उन्हें शेहेर बदलना पड़ेगा
तुम्हारी तरह
जहां तुम्हारा काजल थोड़ा फैला रहता है
साझ की तरह
वहां कुछ बूंदो ने
घर बना लिया है
शायद मौसम बदल गया है
सावन आ गया है
मैंने तब से पलके नहीं झपकाई
बेचारों की बस्ती टूट जाएगी
और उन्हें शेहेर बदलना पड़ेगा
तुम्हारी तरह
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