Tuesday, March 1, 2016

चोरी चोरी रात

कोरी कोढ़ी
          बोरी बोरी रात
नकचढ़ी निगोड़ी
          चोरी चोरी रात

खत फाड़ के भी ना पढ़ा
पता था क्या लिखी थी बात

सड़क से खुरच जाएगी
पर फिर भी निकली वो नंगे पाव

कोरी कोढ़ी
          बोरी बोरी रात
नकचढ़ी निगोड़ी
          चोरी चोरी रात

आढ़ी टेढ़ी, नंगी पुंगी
ऐसे गोरी सर्दी गिरी उस साल

उल्लू ने भी सपना देखा
उस रात पहली बार 

कोरी कोढ़ी
          बोरी बोरी रात
नकचढ़ी निगोड़ी
          चोरी चोरी रात

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