वो पतली सी लकीर
जो नाक के कोने से
टंग जाती है होंठ के कोने तक
वो मुस्कान नहीं है
पर तेरे चहरे पे रहती है
खुसी सी, हसीन लगती है
मांझे सी रगड़ती है
सरकटी नागिन सी बिलखती है
जब भी तु बोलती है
ये वो गली है
जहां हर आँसू फिसल जाता है
बड़ी बदनाम गली है
जो इसे आजतक कोई नाम नहीं मिला है
कोई तो बात है
शायद वहाँ कोई शायर रहता है
जो पड़ताल लेता है तेरे हर आँसू की
और लेता है आराम भरी अँगड़ाइयाँ तेरी मुस्कानों में
वो अपना पता बताने से डरता है
शायद इसी लिए ये गाली शायरी में लापता है
जो नाक के कोने से
टंग जाती है होंठ के कोने तक
वो मुस्कान नहीं है
पर तेरे चहरे पे रहती है
खुसी सी, हसीन लगती है
मांझे सी रगड़ती है
सरकटी नागिन सी बिलखती है
जब भी तु बोलती है
ये वो गली है
जहां हर आँसू फिसल जाता है
बड़ी बदनाम गली है
जो इसे आजतक कोई नाम नहीं मिला है
कोई तो बात है
शायद वहाँ कोई शायर रहता है
जो पड़ताल लेता है तेरे हर आँसू की
और लेता है आराम भरी अँगड़ाइयाँ तेरी मुस्कानों में
वो अपना पता बताने से डरता है
शायद इसी लिए ये गाली शायरी में लापता है
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