Sunday, March 27, 2016

कांच

जो कांच तोड़ रहे हो
तो उसे चिरका के मत छोड़ जाना
थोड़ा हौसला बनाना
और कांच पूरा तोड़ जाना

के दरारें उम्मीदें टिकाए रखती हैं
उम्मीदें खाली बड़ी बेकार होती हैं
नजर वालों को नज़ारे दिखती हैं
पूरे साबुत कांच की

तो अगर जाना
तो एक एक टुकड़ा तोड़ के जाना

क्योंकि अगर जो नजर में पड़ गए
वो नज़ारे पूरे जरूर होंगे

अधूरे खाली रौशनदान में
कांच फिर से होंगे

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