वो धुन वाला, खाली कमरे में बैठे
सफेेद बालों के साथ
अपनी बनाई हुई एक पुरानी धुन सुन रहा है
मुस्कुरा रहा है
जैसे वो लंगड़ाता बूढ़ा मजदूर
अपनी जवानी में रखी हुई ईटों को
जवान देखता है
याद करता है
के पीछे वाली खिड़की पे रखी बीम ने
कितने दिन लिए थे घुटने टेकने में
वो मुस्कुरा रहा है
उसे देख, उंगली पकड़े उसका पोता
हस रहा है
कि इतनी सजी ईमारत के पीछे आ कर
इस खिड़की को देख
ये बूढ़ा क्यों पगलता है
वैसे आज वही पोता
मुस्कुरा रहा है
अपनी वो धुन सुन के
जिसके आखरी सुर को उसने भारी कर दिया था
अपने बूढ़े की मौत पर
वैसे एक पोता और भी है
जो हर बार दरवाजे की आड़ से
अपने धुनवाले बूढ़े को देखता है
और सोचता है
कि हमेशा यही धुन सुन कर
ये बूढ़ा क्यों पगलता है
सफेेद बालों के साथ
अपनी बनाई हुई एक पुरानी धुन सुन रहा है
मुस्कुरा रहा है
जैसे वो लंगड़ाता बूढ़ा मजदूर
अपनी जवानी में रखी हुई ईटों को
जवान देखता है
याद करता है
के पीछे वाली खिड़की पे रखी बीम ने
कितने दिन लिए थे घुटने टेकने में
वो मुस्कुरा रहा है
उसे देख, उंगली पकड़े उसका पोता
हस रहा है
कि इतनी सजी ईमारत के पीछे आ कर
इस खिड़की को देख
ये बूढ़ा क्यों पगलता है
वैसे आज वही पोता
मुस्कुरा रहा है
अपनी वो धुन सुन के
जिसके आखरी सुर को उसने भारी कर दिया था
अपने बूढ़े की मौत पर
वैसे एक पोता और भी है
जो हर बार दरवाजे की आड़ से
अपने धुनवाले बूढ़े को देखता है
और सोचता है
कि हमेशा यही धुन सुन कर
ये बूढ़ा क्यों पगलता है
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