निशब्द
बोलो नहीं
मुह पे हाथ नहीं
होठ नहीं
आवाज है, बस शब्द नहीं
निस्तब्ध
सावली लड़की
आँखों में काजल नहीं
मांग में सिन्दूर नहीं
विधवा नहीं
मुह में जुबान नहीं
अरे भाई ! गूंगी नहीं
बस मुह में जुबान नहीं
बोलो नहीं
क्यों? समझे नहीं ?
अच्छा
जैसे पानी में हवा नहीं
हवा में पानी नहीं
तो क्या ?
कुछ नहीं
बारिश हुई
श्श्श्श्श्श्श्श्श........
बोलो नहीं
एक नाव मरम्मत के बाद
पुरानी नाव नहीं
एक जिंदगी, एक दिन के बाद
वही जिंदगी नहीं
जी सब अँधेरा है
क्योकि अँधेरे मे
किसी का आकर नहीं
बोलो नहीं
भूके को भूक नहीं
भूक मरती है
एक जीव की तरह
भले ही वो जीव नहीं
पेड़ पे फल फरा है
पेड़ पे पत्थर अटका है
भूके को पता नहीं
भूके को बताना नहीं
बोलो नहीं
बहाव खोती नदी
उम्मीद से भरी
प्रवत चढ़ने को
अभी वक़्त बहुत है
अभी मौत नहीं
कोई आवाज भरो उसमे
के बोलना महान है
सून्नना बेवकूफी
तो
बोलो नहीं
तिलक लगाओ
गुलाब बनाओ
क्या आप पत्ते रह गए ?
किसी आर्गेनाइजेशन के पुर्जे रह गए ?
राम राम , राम राम
कितना कबाड़ है
इन सबको आग लगाओ
शमशान बनाओ
भाई शहाब, चलो अच्छा
आप भी
बोलो नहीं
सत्य क्या है ?
सही और गलत की मझली बहन
तो झूठ ?
झूट है मझला भाई
क्या दोनों जुड़वाँ है ?
पूछो नहीं ?
बोलो नहीं
पैरों की कानी ऊँगली
काट दो
छाट दो
भाई उसकी जरूरत नहीं
अधूरी ना रहे जिंदगी
इसे पूरा करो
जुदा करो
पर
बोलो नहीं
भ्रम करो
फल की इच्छा ना रखो
ताकि
कर्म करो
सब बोलते तो यही
तो मैं करता रहता हूँ
सब अगर कर्म ही करते है
तो इसका मतलब ये तो नहीं
के
बोलो नहीं?
बोलो नहीं
मुह पे हाथ नहीं
होठ नहीं
आवाज है, बस शब्द नहीं
निस्तब्ध
सावली लड़की
आँखों में काजल नहीं
मांग में सिन्दूर नहीं
विधवा नहीं
मुह में जुबान नहीं
अरे भाई ! गूंगी नहीं
बस मुह में जुबान नहीं
बोलो नहीं
क्यों? समझे नहीं ?
अच्छा
जैसे पानी में हवा नहीं
हवा में पानी नहीं
तो क्या ?
कुछ नहीं
बारिश हुई
श्श्श्श्श्श्श्श्श........
बोलो नहीं
एक नाव मरम्मत के बाद
पुरानी नाव नहीं
एक जिंदगी, एक दिन के बाद
वही जिंदगी नहीं
जी सब अँधेरा है
क्योकि अँधेरे मे
किसी का आकर नहीं
बोलो नहीं
भूके को भूक नहीं
भूक मरती है
एक जीव की तरह
भले ही वो जीव नहीं
पेड़ पे फल फरा है
पेड़ पे पत्थर अटका है
भूके को पता नहीं
भूके को बताना नहीं
बोलो नहीं
बहाव खोती नदी
उम्मीद से भरी
प्रवत चढ़ने को
अभी वक़्त बहुत है
अभी मौत नहीं
कोई आवाज भरो उसमे
के बोलना महान है
सून्नना बेवकूफी
तो
बोलो नहीं
तिलक लगाओ
गुलाब बनाओ
क्या आप पत्ते रह गए ?
किसी आर्गेनाइजेशन के पुर्जे रह गए ?
राम राम , राम राम
कितना कबाड़ है
इन सबको आग लगाओ
शमशान बनाओ
भाई शहाब, चलो अच्छा
आप भी
बोलो नहीं
सत्य क्या है ?
सही और गलत की मझली बहन
तो झूठ ?
झूट है मझला भाई
क्या दोनों जुड़वाँ है ?
पूछो नहीं ?
बोलो नहीं
पैरों की कानी ऊँगली
काट दो
छाट दो
भाई उसकी जरूरत नहीं
अधूरी ना रहे जिंदगी
इसे पूरा करो
जुदा करो
पर
बोलो नहीं
भ्रम करो
फल की इच्छा ना रखो
ताकि
कर्म करो
सब बोलते तो यही
तो मैं करता रहता हूँ
सब अगर कर्म ही करते है
तो इसका मतलब ये तो नहीं
के
बोलो नहीं?
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