एक संयम सुन्दर सी शाम
जहां हलकी घास की महक
मखमल सा पानी
लटके पैरों के नीचे
आराम लगता है
जैसे आने वाली रात ही है
कहानी का अंत
जहां महसूस हों की
अगर आज रात भूचाल में
मर भी जाएँ
तब भी ये कहानी पूरी रहेगी
राजा रानी वाली कहानियों की तरह
पर एक नींद के बाद
सुबह की हताश जिन्दा कर देती है
के हम कहानी नहीं
ज़िन्दगी हैं
अफ़सोस
के हताशा एक अच्छी कहानी नहीं बन सकती
मगर एक सच्ची सी जिंदगी ज़रूर हो सकती है
जो जगती है हमे उस बेसूद नज़रिये से
जहां हलकी घास की महक
मखमल सा पानी
लटके पैरों के नीचे
आराम लगता है
जैसे आने वाली रात ही है
कहानी का अंत
जहां महसूस हों की
अगर आज रात भूचाल में
मर भी जाएँ
तब भी ये कहानी पूरी रहेगी
राजा रानी वाली कहानियों की तरह
पर एक नींद के बाद
सुबह की हताश जिन्दा कर देती है
के हम कहानी नहीं
ज़िन्दगी हैं
अफ़सोस
के हताशा एक अच्छी कहानी नहीं बन सकती
मगर एक सच्ची सी जिंदगी ज़रूर हो सकती है
जो जगती है हमे उस बेसूद नज़रिये से
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