Monday, May 8, 2017

कहानी और ज़िन्दगी

एक संयम सुन्दर सी शाम
जहां हलकी घास की महक
मखमल सा पानी
लटके पैरों के नीचे
आराम लगता है
जैसे आने वाली रात ही है
कहानी का अंत

जहां महसूस हों की
अगर आज रात भूचाल में
मर भी जाएँ

तब भी ये कहानी पूरी रहेगी
राजा रानी वाली कहानियों की तरह
पर एक नींद के बाद
सुबह की हताश जिन्दा कर देती है
के हम कहानी नहीं
ज़िन्दगी हैं
अफ़सोस
के हताशा एक अच्छी कहानी नहीं बन सकती
मगर एक सच्ची सी जिंदगी ज़रूर हो सकती है
जो जगती है हमे उस बेसूद नज़रिये से

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