एक जगह है
खाली सी जगह
जहाँ धुन बजती रहती है
मरसिये सी
विश्व की सबसे सुनहरी धुन
चलते हुए मेरे पाव मूड जाने से पहले
उस जगह लहू भर जाने से पहले
सफ़ेद बालों और दाढ़ी के बीच फांसी निगाहें
पी जाती हैं सारा लाल रंग
जगह भर जाती है निगाहों के अंतिम छोर तक
वो जगह कभी खाली भी रहती है
एक दम खाली
जब लोग पूछते हैं
मैं होता हूँ
एक दम खाली
कभी वहां फंदा भी होता है
काली जटाओं सा
जिन्हे में बहुत प्रेम करता हूँ
और उसी से लटक के करता हूँ
आत्महत्या
कई बार , बार - बार
वहाँ का जल्लाद बेफिक्र खामोश है
सिगरेट के छल्ले बना
मुझे मरता देखता है
मेरा मरना बड़ी बात नहीं
उस जगह में
जगह जगह है
मेरे तड़पते पैर शांत हो जाने के बाद
की जगह
मेरा रोना
फूटी जमीन का बंजर होना है
उसको छूना
समंदर का ठहरा बहाव
डूबता हुए को प्यास बोध होना
समंदर में डूबने वाले से पूछो
खारे पानी से भरती है सूखती है
वो जगह
रात के ढाई बजे
कफ़न फाड़ के मौत से सतरंज लेना
जगह है
ये कविता एक वो प्यादा है
जो शतरंज के खेमे से बहार जमीन पर गिर पड़ा है
और किसी को उसकी जगह नहीं याद है
खेल थम चूका है
उस जगह में
जगह की नमकीन मिट्टी
जिसे खोद कर एक आदमी
निकाल लेना चाहता है
कुछ मीठा पानी
जुबान प्यासी है
इस जगह की
इस जगपर एक काली औरत चलती रहती है
वही औरत जो जब रात को अगर चीख दें
तो नींद उड़ जाये
ये जगह पल भर में
गायब हो जाये
जगह औरत के प्रेम की
जगह है
हम जगह को समझना चाहते हैं
उसे पालना चाहते है
अपने मन अनुसार
जगह, उसी जगह रहती है
हमारे बिल्कुल सामने
हमारी पहुंच से लेकिन दूर
जगह कहीं सपना तो नहीं ?
खाली सी जगह
जहाँ धुन बजती रहती है
मरसिये सी
विश्व की सबसे सुनहरी धुन
चलते हुए मेरे पाव मूड जाने से पहले
उस जगह लहू भर जाने से पहले
सफ़ेद बालों और दाढ़ी के बीच फांसी निगाहें
पी जाती हैं सारा लाल रंग
जगह भर जाती है निगाहों के अंतिम छोर तक
वो जगह कभी खाली भी रहती है
एक दम खाली
जब लोग पूछते हैं
मैं होता हूँ
एक दम खाली
कभी वहां फंदा भी होता है
काली जटाओं सा
जिन्हे में बहुत प्रेम करता हूँ
और उसी से लटक के करता हूँ
आत्महत्या
कई बार , बार - बार
वहाँ का जल्लाद बेफिक्र खामोश है
सिगरेट के छल्ले बना
मुझे मरता देखता है
मेरा मरना बड़ी बात नहीं
उस जगह में
जगह जगह है
मेरे तड़पते पैर शांत हो जाने के बाद
की जगह
मेरा रोना
फूटी जमीन का बंजर होना है
उसको छूना
समंदर का ठहरा बहाव
डूबता हुए को प्यास बोध होना
समंदर में डूबने वाले से पूछो
खारे पानी से भरती है सूखती है
वो जगह
रात के ढाई बजे
कफ़न फाड़ के मौत से सतरंज लेना
जगह है
ये कविता एक वो प्यादा है
जो शतरंज के खेमे से बहार जमीन पर गिर पड़ा है
और किसी को उसकी जगह नहीं याद है
खेल थम चूका है
उस जगह में
जगह की नमकीन मिट्टी
जिसे खोद कर एक आदमी
निकाल लेना चाहता है
कुछ मीठा पानी
जुबान प्यासी है
इस जगह की
इस जगपर एक काली औरत चलती रहती है
वही औरत जो जब रात को अगर चीख दें
तो नींद उड़ जाये
ये जगह पल भर में
गायब हो जाये
जगह औरत के प्रेम की
जगह है
हम जगह को समझना चाहते हैं
उसे पालना चाहते है
अपने मन अनुसार
जगह, उसी जगह रहती है
हमारे बिल्कुल सामने
हमारी पहुंच से लेकिन दूर
जगह कहीं सपना तो नहीं ?
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