भेद भाव तो श्रीस्टी के रग रग मे बसा है,
क्या सूरज भी कभी सबको एक साथ उजाला दे पाया है?
सूरज की दुश्मनी से बेहतर चंदा का साथ है,
चलो आखों को मूंद कर कुछ सपने ही बटोर लो |
क्या सूरज भी कभी सबको एक साथ उजाला दे पाया है?
सूरज की दुश्मनी से बेहतर चंदा का साथ है,
चलो आखों को मूंद कर कुछ सपने ही बटोर लो |
No comments:
Post a Comment