Thursday, January 15, 2015

नोकीली यादें

हर बिछड़ी बीती बातों की, नोकीली यादें है

कुछ मुड़े, पश्मीने रेशों सी गुदगुदा रही है
कुछ अड़े, थोर के काटों सी चुभे जा रही है

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