कागज पे चीनी डाल कर
चबाने की कोशिश की है
अनजाने रहने की जिद पे
उसने ये हद की है
ये मांस का गुदा
हड्डी का गुथ्था
गरम रहने को
किस किस की जेब में ना रहा
पोशम्पा, रिंगा - रिंगा पर
झूम झूम कर गिरा
इसी बेखुदी में रहने को
सांसे काली कर पी गया
किसी बूढ़ी लंगड़ाती सलाह के
अनुभव पे चल के
वास्तविक्ता से वो बस
दो कश दूर रह गया
वो जानवर है
दांत हैं उसके पास
पर बस वो चबा सकता है
काटना मना है
'ट्रेडमिल' पर वो
बेतुका सा दौड़ता है
किसी की आँखों में अटकने को
खड़े खड़े भटकता है
एक 'पोर्ट्रेट' बनाने
वो भी सच्चे प्यार की
सिंदूर में डुबाए 'ब्रश' को पकडे
नाजाने कब से खड़ा है
बूह लगती है उसे महक अपनी
वो धोता है, रगड़ता है
पर हर गुजरती हवा में, गिरेबान से
किसी को ढूंढता है
और फिर
जब वो मनचाहा किरदार बन
मंच पर चढ़ा
तो तमाशे के अंत में
वो तालियों से पिटा है
अब
जब लोगों की समझ से दूर
वो चाँद को घूरता है
हर हरकत को बूझता है
शर्मिंदगी नहीं, अफ़सोस नहीं
बस घूरता है
चाँद को
घूरता है
चबाने की कोशिश की है
अनजाने रहने की जिद पे
उसने ये हद की है
ये मांस का गुदा
हड्डी का गुथ्था
गरम रहने को
किस किस की जेब में ना रहा
पोशम्पा, रिंगा - रिंगा पर
झूम झूम कर गिरा
इसी बेखुदी में रहने को
सांसे काली कर पी गया
किसी बूढ़ी लंगड़ाती सलाह के
अनुभव पे चल के
वास्तविक्ता से वो बस
दो कश दूर रह गया
वो जानवर है
दांत हैं उसके पास
पर बस वो चबा सकता है
काटना मना है
'ट्रेडमिल' पर वो
बेतुका सा दौड़ता है
किसी की आँखों में अटकने को
खड़े खड़े भटकता है
एक 'पोर्ट्रेट' बनाने
वो भी सच्चे प्यार की
सिंदूर में डुबाए 'ब्रश' को पकडे
नाजाने कब से खड़ा है
बूह लगती है उसे महक अपनी
वो धोता है, रगड़ता है
पर हर गुजरती हवा में, गिरेबान से
किसी को ढूंढता है
और फिर
जब वो मनचाहा किरदार बन
मंच पर चढ़ा
तो तमाशे के अंत में
वो तालियों से पिटा है
अब
जब लोगों की समझ से दूर
वो चाँद को घूरता है
हर हरकत को बूझता है
शर्मिंदगी नहीं, अफ़सोस नहीं
बस घूरता है
चाँद को
घूरता है
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