हाँ! मैंने सुने हैं लोगों के
कच्चे अंदाज में, वो पक्के मुहावरे
के पाव फैलाओ अपने, चादर नाप के
पर हमारी तो जमीन इतनी लूट गई
के चादर लम्बी रही
पर फूटपाथ छोटी पद गई
आप कहते हो पाव समेट लो
जिंदगी के नाम पे
हम तो परछाईंयां समेट लेते है
हर शाम
अब तो रौशनी दो!
कच्चे अंदाज में, वो पक्के मुहावरे
के पाव फैलाओ अपने, चादर नाप के
पर हमारी तो जमीन इतनी लूट गई
के चादर लम्बी रही
पर फूटपाथ छोटी पद गई
आप कहते हो पाव समेट लो
जिंदगी के नाम पे
हम तो परछाईंयां समेट लेते है
हर शाम
अब तो रौशनी दो!
No comments:
Post a Comment