ये माथे से कूद कर
जो नाक पर आ चढ़ा है
ये गुस्सा
चाय में नमक सा
बड़ा अटपटा है
वो रुकता नहीं है वहीं पे
खुदी को पकड़ के
गोता लगाता है
और जब गिरता है जमी पे
तो चिपटे फटे आंसू सा
दिखता है
जो नाक पर आ चढ़ा है
ये गुस्सा
चाय में नमक सा
बड़ा अटपटा है
वो रुकता नहीं है वहीं पे
खुदी को पकड़ के
गोता लगाता है
और जब गिरता है जमी पे
तो चिपटे फटे आंसू सा
दिखता है
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