के तुम ही हो
वो साहस
जो हो के भी प्रतिबिंब
मेरे मन को आजाद करते हो
मेरे सीने के पिंजरे से
खयालों में बसते हो
के तुम ही हो
वो गुब्बारे वाले
जिसकी एक आवाज पे
गलियों में खिल जाते है चेहरे
दौड़ आते है नन्हे कितने कदम आँगन में
मुस्कानों में रहते हो
के तुम ही हो भावनाओं के सौदागर
मेहफ़ूज़ रखना खुद को
भावनाए बाजार में बिकती नहीं
मिलती नहीं
वो साहस
जो हो के भी प्रतिबिंब
मेरे मन को आजाद करते हो
मेरे सीने के पिंजरे से
खयालों में बसते हो
के तुम ही हो
वो गुब्बारे वाले
जिसकी एक आवाज पे
गलियों में खिल जाते है चेहरे
दौड़ आते है नन्हे कितने कदम आँगन में
मुस्कानों में रहते हो
के तुम ही हो भावनाओं के सौदागर
मेहफ़ूज़ रखना खुद को
भावनाए बाजार में बिकती नहीं
मिलती नहीं
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