ऐसा लगता है
इंसानो से तंग
आ कर खुदा ने
ये जहां बसाया था
सब तरफ सफ़ेद बर्फ
और कुछ चुनिंदा
साथियों को बुलाया था
एकांत ऐसा बसाया था
के नींदे खुल जाये
ये हवाएं करे सरगोशियाँ
और होठ जमे रह जाएँ
जमी यहाँ धड़कती थी
सीलों की पुकारों से
आसमान चहकता था
पेंगुइन की किलकारियों से
यहाँ दिन रात नहीं थी
सरहदे नहीं थी
खुली जमीं थी
चलती जमीं थी
तैरती जमी थी
हाँ सच में
इंसान से तंग आ के
खुदा ने ये जहाँ
बनाया था
पर इंसान तो इंसान है
अपनी चाहतों का गुलाम है
देखो आदतों से उसकी
तप रही ये जमी
टूट रही ये जमी
गल रही ये जमी
जो तबाह हो रही
खुदा की अपनी सरजमीं
इंसानो से तंग
आ कर खुदा ने
ये जहां बसाया था
सब तरफ सफ़ेद बर्फ
और कुछ चुनिंदा
साथियों को बुलाया था
एकांत ऐसा बसाया था
के नींदे खुल जाये
ये हवाएं करे सरगोशियाँ
और होठ जमे रह जाएँ
जमी यहाँ धड़कती थी
सीलों की पुकारों से
आसमान चहकता था
पेंगुइन की किलकारियों से
यहाँ दिन रात नहीं थी
सरहदे नहीं थी
खुली जमीं थी
चलती जमीं थी
तैरती जमी थी
हाँ सच में
इंसान से तंग आ के
खुदा ने ये जहाँ
बनाया था
पर इंसान तो इंसान है
अपनी चाहतों का गुलाम है
देखो आदतों से उसकी
तप रही ये जमी
टूट रही ये जमी
गल रही ये जमी
जो तबाह हो रही
खुदा की अपनी सरजमीं
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