छोड़ के उसे
जो मिला ही छूटने को था
मै चला तो
लौटने अपने ही घर को था
गुनगुनाते एक तर्रनुम
दोहराते उसकी यादें
जो था, वो सच्च है
इस यकीं को मन में बांधे
दफ़तन, हवा के बल
एक पुरानी वक़ाफात ने
गिरेबां पकड़
अपने जानिब खींच लिया
ढूंढते उसे चला
डर डर कदम रखता
जेहन को कुरेदता
कही फिर तुम ना निकलो
राहत,
के ये कोई और था
एक दरख़्त, फूलों से लदा
कुछ यूँ लटकता
के मै उन लम्हों को तरस उठता
जब ऐसी ही किसी छाओं में
बीत जाते थे दिन मेरे
एहसास थे उनके रेशम से
पर रखते यूँ मेहफ़ूज़ मुझे
जैसे हों मेरा आशियाँ
मेरी इबादत
तेरी जुल्फें
मेरी ज़न्नत
Its a translation of a poem done on a request by a friend.
ये एक नज्म का तजुर्मा है, जो की एक दोस्त की फरमाइश पे किया गया है
जो मिला ही छूटने को था
मै चला तो
लौटने अपने ही घर को था
गुनगुनाते एक तर्रनुम
दोहराते उसकी यादें
जो था, वो सच्च है
इस यकीं को मन में बांधे
दफ़तन, हवा के बल
एक पुरानी वक़ाफात ने
गिरेबां पकड़
अपने जानिब खींच लिया
ढूंढते उसे चला
डर डर कदम रखता
जेहन को कुरेदता
कही फिर तुम ना निकलो
राहत,
के ये कोई और था
एक दरख़्त, फूलों से लदा
कुछ यूँ लटकता
के मै उन लम्हों को तरस उठता
जब ऐसी ही किसी छाओं में
बीत जाते थे दिन मेरे
एहसास थे उनके रेशम से
पर रखते यूँ मेहफ़ूज़ मुझे
जैसे हों मेरा आशियाँ
मेरी इबादत
तेरी जुल्फें
मेरी ज़न्नत
Its a translation of a poem done on a request by a friend.
ये एक नज्म का तजुर्मा है, जो की एक दोस्त की फरमाइश पे किया गया है
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