फिर वही मय और मयखाना
फिर वही शमा और परवाना
ये छायावाद की मधुशाला का
हैंगओवर अभी तक चल रहा है
जनाब! लैला के आगे जहाँ और भी हैं
मेरे जेहेन में ख़याल और भी है
इन सुखन की तंग दरारों में
छुपे फ़साने और भी हैं
फिर वही शमा और परवाना
ये छायावाद की मधुशाला का
हैंगओवर अभी तक चल रहा है
जनाब! लैला के आगे जहाँ और भी हैं
मेरे जेहेन में ख़याल और भी है
इन सुखन की तंग दरारों में
छुपे फ़साने और भी हैं
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