Sunday, December 14, 2014

पुदीने की चटनी

खेतों से सीपियाँ उठा कर आई
उन्हें घिस वो छिलनी बना कर आई

शब्ज अमियों की चमड़ी उतार कर
मिर्च संग, सिलबट्टे से दबा कर आई

पुदीने की महक से आँगन भर के वो
उसके पसंद की चटनी बना कर आई

कुछ पुराने कदम, आज लौटने को थे
वो अपनी देहलीज़ पुरानी करा कर आई


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