खेतों से सीपियाँ उठा कर आई
उन्हें घिस वो छिलनी बना कर आई
शब्ज अमियों की चमड़ी उतार कर
मिर्च संग, सिलबट्टे से दबा कर आई
पुदीने की महक से आँगन भर के वो
उसके पसंद की चटनी बना कर आई
कुछ पुराने कदम, आज लौटने को थे
वो अपनी देहलीज़ पुरानी करा कर आई
उन्हें घिस वो छिलनी बना कर आई
शब्ज अमियों की चमड़ी उतार कर
मिर्च संग, सिलबट्टे से दबा कर आई
पुदीने की महक से आँगन भर के वो
उसके पसंद की चटनी बना कर आई
कुछ पुराने कदम, आज लौटने को थे
वो अपनी देहलीज़ पुरानी करा कर आई
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