शर्मिंदगी के दामन में लपेट के
वो उसे छोड़ के तो आई थी ये सोच के
कोई उठा लेगा उसे लावारिस समझ के
अगले दिन अख़बार खोल
वो बिखर गयी, सिमट के
कुत्ते उसे खा गए
मांस का टुकड़ा समझ के
वो उसे छोड़ के तो आई थी ये सोच के
कोई उठा लेगा उसे लावारिस समझ के
अगले दिन अख़बार खोल
वो बिखर गयी, सिमट के
कुत्ते उसे खा गए
मांस का टुकड़ा समझ के
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