उपले सुलगे
पतीली उबली
हुबाब उठे
भूक मिटी
अगली सुबह
स्याह रात जल
राख बन
चूल्हे पर जमी थी
जो चूल्हे वाली ने
वो आग भड़कती ही छोड़ दी थी
पतीली उबली
हुबाब उठे
भूक मिटी
अगली सुबह
स्याह रात जल
राख बन
चूल्हे पर जमी थी
जो चूल्हे वाली ने
वो आग भड़कती ही छोड़ दी थी
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