Sunday, December 14, 2014

चूल्हे वाली - 2

रात जली राख से
              पतीली माज रही थी

उन चिपके, स्याह दागों को
               वो मिटा रही थी

जो बीते लम्हों की जूठन
               वो बहा रही थी

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