वो जंगलों के पेड़ों से गुदगुदाए हुए बादल
जब शहरों के छज्जों की अरियों से रगड़ते होंगे
तो क्या सोचते होंगे ??
क्या पीठ पर पड़ी सी खुजली की राहत
या
खटमलों की डँसती सी खजुहट की आहत
या
एक्यूपंक्चर थेरेपी
या
फटा हुआ गद्दा बिना रुई
क्या
आखिर क्या !!
जब शहरों के छज्जों की अरियों से रगड़ते होंगे
तो क्या सोचते होंगे ??
क्या पीठ पर पड़ी सी खुजली की राहत
या
खटमलों की डँसती सी खजुहट की आहत
या
एक्यूपंक्चर थेरेपी
या
फटा हुआ गद्दा बिना रुई
क्या
आखिर क्या !!
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