बूँद गिरी
हुई है हरी
जमी भीगी
हाँ! खीच गयी
लकीर, जो थी
हसी मीठी
https://soundcloud.com/chaitanya-praveen/an-ode-to-bangalore-rains
हुई है हरी
जमी भीगी
हाँ! खीच गयी
लकीर, जो थी
हसी मीठी
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