मै एक गिलास में भरा
रेत का मैला
गंदा पानी
हर हालत, झकझोर हिला
मिलाने को
परेशान कब से
और हुँ भी तो क्या
मटमैला, और मै
कब से संभव हूँ
सम्हालते
ये हिलकोरे
सुखा ले जाती हैं
जब ये हवायें
मेरे नम चहरे
हस के मुझपे
के स्थिर
ना हूँ, ना हूँगा कभी
ना छटूंगा मै
ना बैठे गी ये रेत
बस यू ही
उड़ती रहेगी भाप
साँसों की
और अंत होगी
मौत
बची
गन्दी रेत सी
रेत का मैला
गंदा पानी
हर हालत, झकझोर हिला
मिलाने को
परेशान कब से
और हुँ भी तो क्या
मटमैला, और मै
कब से संभव हूँ
सम्हालते
ये हिलकोरे
सुखा ले जाती हैं
जब ये हवायें
मेरे नम चहरे
हस के मुझपे
के स्थिर
ना हूँ, ना हूँगा कभी
ना छटूंगा मै
ना बैठे गी ये रेत
बस यू ही
उड़ती रहेगी भाप
साँसों की
और अंत होगी
मौत
बची
गन्दी रेत सी
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