Sunday, July 26, 2015

तुम और चाँद, और एक रात

चाँद जो गिरा है
        रेत पर बिखरा है

चमकता है
        फिसलता है

जैसे मेरे हाथों में
        तेरा दुपट्टा है


ठंडी हवाएं
        जुल्फों से मेरे गुजरें

जैसे तेरे उंगली
        कान के पीछे से, चुपके से
                                  खेले


तेरे झुमकों से जो
         झूल कर गया है

मेरी सांसो का एक
         काफिला है

टुटा है, छूटा है
         तेरे कंधे पे ही पड़ा है


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