एक सठियाई दिनचर्या
के तजुर्बों में फसा मै
कुछ यूँ लगा
के मेरे एहसास तो बहुत हैं
पर पेशा गलत
आज उस बेबस आवाज
की दास्ताँ सुन मै
वैसा ही लगा
उसकी रूह की ख्वाहिशें तो बहुत हैं
पर जिस्म गलत
के तजुर्बों में फसा मै
कुछ यूँ लगा
के मेरे एहसास तो बहुत हैं
पर पेशा गलत
आज उस बेबस आवाज
की दास्ताँ सुन मै
वैसा ही लगा
उसकी रूह की ख्वाहिशें तो बहुत हैं
पर जिस्म गलत
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