ये क्या घूरता है
मुझे ये क्या घूरता है
रात तो हाथ टटोलने को
मेरे जिस्म का खाका याद करता है
जेहन की नंगी तस्वीरों में
मेरे हुस्न को लपेटता है
ये क्या घूरता है
मुझे ये क्या घूरता है
मै ये कहती नहीं
चाहतें छोड़ दे
ख्वाहिशें तोड़ दे
पर इतना समझ
मुझमे भी कहीं
चाहतें, ख्वाहिशें होती हैं
ये क्या घूरता है
मुझे ये क्या घूरता है
एक हद मुझमे है
एक काबू तुझमे है
वेहशी ना बन तू
ये ताकत तुझमे है
इंसान मै भी हूँ
इंसान तू भी है
वो इज्जत दे मुझे
जो इज्जत है तेरी
ये क्या घूरता है
मुझे ये क्या घूरता है
मुझे ये क्या घूरता है
रात तो हाथ टटोलने को
मेरे जिस्म का खाका याद करता है
जेहन की नंगी तस्वीरों में
मेरे हुस्न को लपेटता है
ये क्या घूरता है
मुझे ये क्या घूरता है
मै ये कहती नहीं
चाहतें छोड़ दे
ख्वाहिशें तोड़ दे
पर इतना समझ
मुझमे भी कहीं
चाहतें, ख्वाहिशें होती हैं
ये क्या घूरता है
मुझे ये क्या घूरता है
एक हद मुझमे है
एक काबू तुझमे है
वेहशी ना बन तू
ये ताकत तुझमे है
इंसान मै भी हूँ
इंसान तू भी है
वो इज्जत दे मुझे
जो इज्जत है तेरी
ये क्या घूरता है
मुझे ये क्या घूरता है
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