Monday, November 17, 2014

आग - 2

जिनके दिलों में आग हो
उन्हें सीना जलने का डर कहाँ

जिनके आँखों में ख्वाब हो
पैरों को उनके थकना पता कहाँ

तुझमे भी वो ख्वाब है
के वो आग है तो रौशन कर जहाँ

मंजिल जो रूठ जाये तो
रास्तों को साथी तू बना



मुमकिन कभी
     हो हर चाल सही

जो भटका नहीं
    कैसा राही वो भी

खुद की खुदी सम्हाल कर
    ख्वाहिशों को आजाद कर

के ढूंढ वो वजह
    जिसके लिए था तू चला



देख खुद को
    आईने में कभी

जिंदगी सिमटी
    जेहेन में तेरी

चेहरा बदल गया है
     आवाज रगड़ गयी है

देख खो तो नहीं गयी
     मुस्कान ये तेरी


जिनके दिलों में आग हो
उन्हें सीना जलने का डर कहाँ

जिनके आँखों में ख्वाब हो
पैरों को उनके थकना पता कहाँ

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