एक धुप बत्ती
कुछ उमीदों से सुलगी
खुदा को खुश करने
होले होले यु जल के
आराधना में लीन हो
वेदना को भूल वो
मौहोल महकाती रही
विश्वास चमकती रही
सुबह बस बची तो राख थी
जो एक झोके में बिखर गयी
ना जाने,
मुराद पूरी हो
संतुस्ट चिता में वो फुक गयी
या
इन्तेजार में
जवाब के, कमजोर हो वो मर गयी
कुछ उमीदों से सुलगी
खुदा को खुश करने
होले होले यु जल के
आराधना में लीन हो
वेदना को भूल वो
मौहोल महकाती रही
विश्वास चमकती रही
सुबह बस बची तो राख थी
जो एक झोके में बिखर गयी
ना जाने,
मुराद पूरी हो
संतुस्ट चिता में वो फुक गयी
या
इन्तेजार में
जवाब के, कमजोर हो वो मर गयी
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