आज मंदिर में
मै रो रहा था
दुआ कर रहा था
"उसकी रूह को तस्कीं करना "
जब बाहर आया
तो पैरों की जूतियाँ
चुरा ले गया था कोई
कल रात जैसे
एक हादसे ने
चुरा लिया था
एक अजीज का साया मेरे सर से
अफ़सोस!
के अब ये सफर
भरी धुप में
जल जल के करना पड़ेगा
मै रो रहा था
दुआ कर रहा था
"उसकी रूह को तस्कीं करना "
जब बाहर आया
तो पैरों की जूतियाँ
चुरा ले गया था कोई
कल रात जैसे
एक हादसे ने
चुरा लिया था
एक अजीज का साया मेरे सर से
अफ़सोस!
के अब ये सफर
भरी धुप में
जल जल के करना पड़ेगा
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