ये चाहत लिए
उम्मीद बुने
एक सपना उठ पड़ा था
ज्यादा नहीं तो
कम ही सही
पर हिम्मत कर चला था
जेहन से जेहन
घुमा वो
आँखों से आँखों
चूमा वो
मंजर फिर भी उसको न मिला
नीदों से रातें
लड़ा वो
झगड़ो की वजह
बना वो
मंजिल फिर भी नजरों में थी ना
ठोकर खा कर जो गिरा वो
अब जा के है ये समझा
रस्ता जो ये मेरा है
थम चल कर ही काटना
उठ जा तू उठ बढ़ जा
चल चल चल चल बढ़ जा
थम जा तू थम थक जा
थक थक थक थक थक जा
सोच जरा
क्यों दूजों की परछाईं ढुढ़े तू
क्यों इतनी खलिश पाले है रे तू
क्यों। …
नजरों में है बस नज़ारे
नजरिये ग़ुम हैं कहाँ
तुझमे जो सपना उठा था
वो खोया है अब कहाँ
घुटने छिल कर जो खड़ा वो
मरहम मरहम को तरसा
हर मुकाम की मोड़ पे जा कर
वो अब है ये बूझा
उठ जा तू उठ बढ़ जा
चल चल चल चल बढ़ जा
थम जा तू थम थक जा
थक थक थक थक थक जा
उम्मीद बुने
एक सपना उठ पड़ा था
ज्यादा नहीं तो
कम ही सही
पर हिम्मत कर चला था
जेहन से जेहन
घुमा वो
आँखों से आँखों
चूमा वो
मंजर फिर भी उसको न मिला
नीदों से रातें
लड़ा वो
झगड़ो की वजह
बना वो
मंजिल फिर भी नजरों में थी ना
ठोकर खा कर जो गिरा वो
अब जा के है ये समझा
रस्ता जो ये मेरा है
थम चल कर ही काटना
उठ जा तू उठ बढ़ जा
चल चल चल चल बढ़ जा
थम जा तू थम थक जा
थक थक थक थक थक जा
सोच जरा
क्यों दूजों की परछाईं ढुढ़े तू
क्यों इतनी खलिश पाले है रे तू
क्यों। …
नजरों में है बस नज़ारे
नजरिये ग़ुम हैं कहाँ
तुझमे जो सपना उठा था
वो खोया है अब कहाँ
घुटने छिल कर जो खड़ा वो
मरहम मरहम को तरसा
हर मुकाम की मोड़ पे जा कर
वो अब है ये बूझा
उठ जा तू उठ बढ़ जा
चल चल चल चल बढ़ जा
थम जा तू थम थक जा
थक थक थक थक थक जा
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