वो छत पर गयी थी ये सोच कर के
सिसकियाँ हवाओं में श्श्श्श्श्श्श्श्स………
हो जाएँगी
हवाओं ने उसके आंसू तो पोछे
पर सिसकियाँ हर तरफ फैला दी
मेरी पूरी रात बीत गयी उन्हें इक्कठा करते करते
उस मिट्टी के गुल्लक में भरते भरते
ये सोच के की किसी दिन फोडूंगा इन्हे
याद करने इस रात की
तन्हाईयाँ तेरी
खामोशियाँ मेरी
सिसकियाँ हवाओं में श्श्श्श्श्श्श्श्स………
हो जाएँगी
हवाओं ने उसके आंसू तो पोछे
पर सिसकियाँ हर तरफ फैला दी
मेरी पूरी रात बीत गयी उन्हें इक्कठा करते करते
उस मिट्टी के गुल्लक में भरते भरते
ये सोच के की किसी दिन फोडूंगा इन्हे
याद करने इस रात की
तन्हाईयाँ तेरी
खामोशियाँ मेरी
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