एक वो रात थी
जब खुदा ने फरियाद में उसे भेजा
उतरते उतरते काबुल का एक हिस्सा राख हो गया
उसने जिस दिन
अपनी पहली नमाज पढ़ी थी फरियाद भरी थी
खुदा ने उसके अब्बु को सहादत मुकम्मल करी
हाँ वो दिन भी आया
जब अल्फाज और गोलियाँ दोनों साथ उसकी हथेली चढ़ी
जिंदगी बनाने की उम्र से पहले, उसने जिंदगी थी ले ली
फिर कल रात
एक ड्रोन स्ट्राइक में वो बारूद में लिपट गया
मेरे आँगन आ लेटा, डॉक्टर साहब बोले वो पिछत्तर प्रतिशत जल गया
इसमें नया क्या था
अंदर की उबाल, अब छालों के हुबाब हो चुके थे
जितना ही बचा था, उतनी ही तो जिंदगी देखि थी उसने
बाकि तो उसने
जलने, खाक होने और राख बटोरने में
खर्च कर दी थी
और आज सुबह
आखरी सांस भी उसने फरियाद में उड़ा दी
बदले में खुदा ने, उस फरियाद को पकड़ उसकी रूह खीच ली
जब खुदा ने फरियाद में उसे भेजा
उतरते उतरते काबुल का एक हिस्सा राख हो गया
उसने जिस दिन
अपनी पहली नमाज पढ़ी थी फरियाद भरी थी
खुदा ने उसके अब्बु को सहादत मुकम्मल करी
हाँ वो दिन भी आया
जब अल्फाज और गोलियाँ दोनों साथ उसकी हथेली चढ़ी
जिंदगी बनाने की उम्र से पहले, उसने जिंदगी थी ले ली
फिर कल रात
एक ड्रोन स्ट्राइक में वो बारूद में लिपट गया
मेरे आँगन आ लेटा, डॉक्टर साहब बोले वो पिछत्तर प्रतिशत जल गया
इसमें नया क्या था
अंदर की उबाल, अब छालों के हुबाब हो चुके थे
जितना ही बचा था, उतनी ही तो जिंदगी देखि थी उसने
बाकि तो उसने
जलने, खाक होने और राख बटोरने में
खर्च कर दी थी
और आज सुबह
आखरी सांस भी उसने फरियाद में उड़ा दी
बदले में खुदा ने, उस फरियाद को पकड़ उसकी रूह खीच ली
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