Thursday, February 5, 2015

पिछत्तर प्रतिशत जला आदमी

एक वो रात थी
           जब खुदा ने फरियाद में उसे भेजा
           उतरते उतरते काबुल का एक हिस्सा राख हो गया

उसने जिस दिन
          अपनी पहली नमाज पढ़ी थी फरियाद भरी थी
          खुदा ने उसके अब्बु को सहादत मुकम्मल करी

हाँ वो दिन भी आया
          जब अल्फाज और गोलियाँ दोनों साथ उसकी हथेली चढ़ी
          जिंदगी बनाने की उम्र से पहले, उसने जिंदगी थी ले ली

फिर कल रात
          एक ड्रोन स्ट्राइक में वो बारूद में लिपट गया
           मेरे आँगन आ लेटा, डॉक्टर साहब बोले वो पिछत्तर प्रतिशत जल गया

इसमें नया क्या था
           अंदर की उबाल, अब छालों के हुबाब हो चुके थे
            जितना ही बचा था, उतनी ही तो जिंदगी देखि थी उसने

बाकि तो उसने
             जलने, खाक होने और राख बटोरने में
             खर्च कर दी थी

और आज सुबह
              आखरी सांस भी उसने फरियाद में उड़ा दी
              बदले में खुदा ने, उस फरियाद को पकड़ उसकी रूह खीच ली



         

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