खाली कागज पे
बस थी एक दस्तख़त
कुछ ऐसी थी वो
इजहारे मौहब्बत
इस्तीफा, गवाही
ऐलान, रेहमत
जो भी हों
लिख दो किस्मत
देख यूँ
उनकी ये हिम्मत
मै महिनों तक कलम उठा ना सका
मै खुद को खुदा बना ने सका
जो भी हुआ मुझसे
उस कागज पे
चार सिकुड़न में लपेट
मै लौटे आय
मै एक शायर को लूटा आया
मै उसको नज्म बना आया
बस थी एक दस्तख़त
कुछ ऐसी थी वो
इजहारे मौहब्बत
इस्तीफा, गवाही
ऐलान, रेहमत
जो भी हों
लिख दो किस्मत
देख यूँ
उनकी ये हिम्मत
मै महिनों तक कलम उठा ना सका
मै खुद को खुदा बना ने सका
जो भी हुआ मुझसे
उस कागज पे
चार सिकुड़न में लपेट
मै लौटे आय
मै एक शायर को लूटा आया
मै उसको नज्म बना आया
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