अपने होठों से चूम चूम
न जाने कितनी कहानी
कितनी नज्में
लिखी इस कलम ने
कागज के सीने पे
पर,
ना जाने कौन सी कहानी
लिख रहे थे आज
के नीली गहरी खरोंचे भी हैं
स्याही से आंसू के छींटे भी हैं
ये कागज मर गया है
चोट खा खा के
ये कलम भी सूख गयी है
रो रो के
लगता है दोनों अपनी
कहानी लिख रहे थे
न जाने कितनी कहानी
कितनी नज्में
लिखी इस कलम ने
कागज के सीने पे
पर,
ना जाने कौन सी कहानी
लिख रहे थे आज
के नीली गहरी खरोंचे भी हैं
स्याही से आंसू के छींटे भी हैं
ये कागज मर गया है
चोट खा खा के
ये कलम भी सूख गयी है
रो रो के
लगता है दोनों अपनी
कहानी लिख रहे थे
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