एक कवि था
रातों में टेहला करता था
जँगल कि राह में
पेड़ों के सुकून के बीच
हर सुबह, उसके हाथों
लगी मिट्टी से, लगता था
रात भर नज्में खोद कर
आया है किसी वीराने में
आज सुना वो गुजर गया
मौत का मोड़ ले कर
जंगल से जुगनू भी आये बताने
के सावन उसकी नज्में ले गया धुल कर
जो अब बची है बस
उसकी यादें, मेरे जेहेन में
उसकी नज्में, उनके जेहेन में
रातों में टेहला करता था
जँगल कि राह में
पेड़ों के सुकून के बीच
हर सुबह, उसके हाथों
लगी मिट्टी से, लगता था
रात भर नज्में खोद कर
आया है किसी वीराने में
आज सुना वो गुजर गया
मौत का मोड़ ले कर
जंगल से जुगनू भी आये बताने
के सावन उसकी नज्में ले गया धुल कर
जो अब बची है बस
उसकी यादें, मेरे जेहेन में
उसकी नज्में, उनके जेहेन में
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