उस सुनहरी रात के बाद
पलकों पे सपने नाच रहे थे
के अचानक एक सरगोशी ने
उनकी सरगम तोड़ दी
जो उतरा मै आँगन मे
समझने उस माजरे को
मै उतना ही हैरान हुआ
एक खूबसूरत बादल
इजहारे-इश्क़`कर रहा था
उस शम्स से
मुझे देख शर्मा गया
कर गुलाबी सुबह, वो
और भी घबरा गया
आँख माल के मैने
परखना जो चाहा
सपना है, की सच है
वो हौले से
हवा पकड़े
छुप कहीं चला गया
पलकों पे सपने नाच रहे थे
के अचानक एक सरगोशी ने
उनकी सरगम तोड़ दी
जो उतरा मै आँगन मे
समझने उस माजरे को
मै उतना ही हैरान हुआ
एक खूबसूरत बादल
इजहारे-इश्क़`कर रहा था
उस शम्स से
मुझे देख शर्मा गया
कर गुलाबी सुबह, वो
और भी घबरा गया
आँख माल के मैने
परखना जो चाहा
सपना है, की सच है
वो हौले से
हवा पकड़े
छुप कहीं चला गया
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