जब मै अपने सर की काली जवानी
उतार के नदी में बहाने जा रहा था
जी तो बहुत चाहा की उसकी
कुछ जिंदगी खरीद लू बदले में
फिर बगल में जलती शमशान
की भट्टी को देख याद आया
की आज शाम तक ये नदी
उसे भी राख बना ले जाएगी
फिर एक जाती लहर के साथ, वो नदी,
मेरा पैर खीच, रौब दिखती मालकिन सा बोली
" यहाँ सौदा नहीं वक़्त चल रहा है
ये चूल्हा शमशान का
यूँ ही मेरा पेट भरता रहेगा
लोइयों सा नाजुक तू कब तक जियेगा
आज वो सिका है कल तू सिकेगा
चल जा यहाँ से, वक़्त बहुत हो रहा है"
सुन मै, बोल वो, कछ शांत हुए
मुड़, पलटे कदम, उसे बोल आया
" आऊंगा किसी रोज, बनने रोटी तेरे खुराक का
कुछ लहरों बाद मिलने, साथ देने`इस यार का
फ़िलहाल तब तक को, कर विदा, अलविदा"
उतार के नदी में बहाने जा रहा था
जी तो बहुत चाहा की उसकी
कुछ जिंदगी खरीद लू बदले में
फिर बगल में जलती शमशान
की भट्टी को देख याद आया
की आज शाम तक ये नदी
उसे भी राख बना ले जाएगी
फिर एक जाती लहर के साथ, वो नदी,
मेरा पैर खीच, रौब दिखती मालकिन सा बोली
" यहाँ सौदा नहीं वक़्त चल रहा है
ये चूल्हा शमशान का
यूँ ही मेरा पेट भरता रहेगा
लोइयों सा नाजुक तू कब तक जियेगा
आज वो सिका है कल तू सिकेगा
चल जा यहाँ से, वक़्त बहुत हो रहा है"
सुन मै, बोल वो, कछ शांत हुए
मुड़, पलटे कदम, उसे बोल आया
" आऊंगा किसी रोज, बनने रोटी तेरे खुराक का
कुछ लहरों बाद मिलने, साथ देने`इस यार का
फ़िलहाल तब तक को, कर विदा, अलविदा"
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