Monday, October 13, 2014

सीलन

हर  रिश्ते का कमरा बनाता हूँ
                     जहाँ हसी के रंग हों

और आँसू की जगह भी ना हो

पर हर सावन वो सीलन बन आते है !

कितना बेकार कारीगर हूँ मैं !


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