उसने माथे मे मकड़ियों ने
हमेशा फंदे थे पाले
इंसान में इंसान नहीं
सामान थे नापे
जिन जिंदगियों को लूट के
बहाया था नदी में
ये बेशरम, आज उसी नदी में
अपने पाप धोने आया है
हमेशा फंदे थे पाले
इंसान में इंसान नहीं
सामान थे नापे
जिन जिंदगियों को लूट के
बहाया था नदी में
ये बेशरम, आज उसी नदी में
अपने पाप धोने आया है
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