Thursday, September 12, 2013

फितूर

ये फितूर, इस जहेन को मजबूर, कर ज़माने से दूर कहीं ले जाएँ,
ये  नूर, बन के एक हूर, कशिश की ये डोर थामे चला जाएँ |

Wednesday, September 11, 2013

अकल को दस्तक

एक सफल सक्श की अकल को दस्तक देती खलल ने दिया बदल,
रहा उबल, हुई हलचल, उस दिल में जलन इस पल हर पल,

लगी खरोंच, दबा ये जोश, उठा ये जमीर, हुआ सरफ़रोश,
जब बढ़ी ये सोच,घटा संकोच, जकड़ा शारीर, तोड़ी हर मोंच|

Monday, September 9, 2013

सिलवटें

इस मन की चादर पे सिलवटें उभर निकल आती हैं,
कितना भी मैं चाहूं, वो यादें छोड़ नही जाती हैं |

Saturday, September 7, 2013

वो हसरत

दिल मे दहशत की उस परत के नीचे दबी वो हसरत,
ना जाने कब से मूह फुलाए बैठी थी |

ऐ ये कुद्रत इतनी मुदत से मिली ये फ़ुर्सत,
अब थोड़ा मुस्कुराने दे |

Thursday, September 5, 2013

बवाल का मलाल

उस बवाल का मलाल, मुझे बेबक बेकरार, परेशान करता आज भी है,
हुई ईज़्ज़त थी हलाल, बेईंतेहाँ उस बाजार, वो खलल ईस जेहॅन आज भी है,
अब छोड़ो फिलहाल, चाहे हो वो बवाल, पर उसकी याद मेरे साथ आज भी है |

सन्नाटे सुन

सन्नाटे, गलियों मे बसना छोड़,
अब पलट और आखें खोल,
ये धूम हल्ला मचाने आई है |