Wednesday, September 20, 2017

पूस की रात


लग रहल है सर्दी
अरे! रात भयल पूस की

घर की छुटकी के
गाल भयल लाल है

लग रहल है सर्दी
अरे! रात भयल पूस की

अबकिल देवर जी
शादी को बेकरार हैं

लग रहल है सर्दी
अरे! रात भयल पूस की

मंहगाई से भउजी
की सांस चढ़ी जात हैं

लग रहल है सर्दी
अरे! रात भयल पूस की

भईयाजी जी अबकिल
छींकत ही चले जात हैं

लग रहल है सर्दी
अरे! रात भयल पूस की

बबुआ के सर्दी के
बाद इन्तेहान हैं

लग रहल है सर्दी
अरे! रात भयल पूस की

कोहरे की मार से
फसल भयल बेकार है

लग रहल है सर्दी
अरे! रात भयल पूस की

हाथन में हसुआ
कटनी को बेकरार है

लग रहल है सर्दी
अरे! रात भयल पूस की

मोठे कोट वाले
जमीदार जी (नेता जी) की ठाट है